Hindi Poem On Mother
ना अब आबाद हूँ ना कल आबाद था
आज भी बर्बाद हूँ कल भी बर्बाद था,
फर्क सिर्फ इतना है कल और आज में कि
आज गिरफ्तार हूँ और कल आज़ाद था.
पहले मिट्टी खाने पर माँ पीटती थी फिर भी
मिट्टी खाने में लगती थी लाजवाब,
और अब बीवी की पीटाई का भी डर नहीं फिर भी
एक-एक पल का देना पड़ता है हिसाब.
पहले माँ का गुस्सा बुरा लगता था पर
शरारतों से नहीं आते थे हम बाज,
और अब बीवी भी गुस्सा करती है पर
हम कहते हैं गुस्सा उसका है जायज.
पहले माँ के हाथ का खाना खाकर कहते थे
के बहार के खाने की कोई औकात नहीं,
और अब जबसे बीवी के हाथ का खाया है
माँ को कहते हैं, ‘माँ तुझमे ऐसी बात नहीं’.
जब से हुई है शादी हमारी यारों
माँ का है अस्तित्व धुंधलाया,
पहले माँ से ज्यादा हमें नहीं थी कोई प्यारी
पर अब जाने बीवी ने जाने कोनसा जाल बिछाया.
अब जब कभी माँ याद आती है तो सोचता हूँ कि
दुनिया में माँ जैसी कोई और शख्सियत नहीं,
फिर भी बच्चों की शादी के बाद इस कलयुग में
इस “माँ” की ही कोई एहमियत नहीं.
प्रवेश कुमार “पीके”
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Poems On Life In Hindi
जाने के बाद तेरे बड़ा अकेलापन हुआ,
सारी रात उदास दिन तन्हा रहा.
फिर मुश्किल से दिल को समझाया,
झूठे बहनों से दिल को बहलाया.
सोचा कुछ दिन आराम से बिताऊंगा,
ना फ़ोन का चक्कर न माँ-बाप का डर था,
पर क्या पता था इतना तन्हा हो जाऊंगा.
फिर भी जाने अनजाने कैसा डर था,
पहले हर घड़ी कान फोन पर होते थे,
पर कहने सुनने को कुछ ना था,
पर अब जब बात करने का वक़्त नहीं
तो जाने क्या-क्या इस दिल में है.
प्रवेश कुमार “पीके”
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Patriotic Poems In Hindi
देख कर जिसको भड़के शोले
दिल में देहके अँगारे,
दुश्मन का नामो निशां मिटा दे
ना कभी किसी से हारे.
ये है वर्दी एक जवान की..
मैं भी कभी ये वर्दी पहनूं
ये इच्छा है मेरे माँ-बाप की.
पापा है मेरे फ़ौज में,
सब कहते है मैं हूँ मौज में,
कोई क्या मुझको जानेगा,
दिल की हालत पहचानेगा.
हम भी चाहते है वर्दी आन की
मैं भी कभी ये वर्दी पहनूं
ये इच्छा है मेरे माँ-बाप की.
गम में आंसू बहाते हैं सब
कौन खुशियों में रोता है,
अछि किस्मत जिसकी होती
वतन के लिए वो ही मरता है.
हम भी चाहते अहि मौत शान की..
मैं भी कभी ये वर्दी पहनूं
उए इच्छा है मेरे माँ-बाप की.
प्रवेश कुमार “पीके”
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Sad Poem in Hindi
मुझको बूरा कहने वाले,
पहले अपने अन्दर झाँक ले,
मेरा चित्रांकन तुम बाद में करना
पहले अपना फोटो खींच ले.
मुझको ढंग सिखाने वाले
तू खुद ढंग से जीना सीख ले .
मैं बूरा हूँ बुरा ही सही
मुझसे पहले तू अपनी बुराई मिटाना सीख ले.
सूख से जीने की चाहत में
औरों में बुराई ढूँढना छोड़ दे,
गर करना है कुछ तुझको तो
औरों में अच्छाई ढूँढना सीख ले.
गर पुण्य कमाना चाहता है तो
भूखे को अन्नदान दे,
महापुरुषों से सद्गुण की
भीख लेना सीख ले.
पाप कमाना छोड़ कर
भक्ति रस पीना सीख ले.
कुच्छ कबीरा से तू सीख ले
कुछ मीरा से तू सीख ले.
मुझको बूरा कहने वाले
पहले अपने अन्दर झाँक ले,
मेरा चित्रांकन तुम बाद में करना,
पहले अपना फोटो खींच ले.
प्रवेश कुमार “पीके”
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Hindi Poems On Environment
ज़िन्दगी बन गयी है जैसे एक सफ़र,
घर से दफ्तर, दफ्तर से घर.
जैसे घर से हो गए हों बेघर.
अपनों के लिए वक़्त निकाले,
इतना भी वक़्त हमारे पास नहीं,
किन किन हालातों से गुजरते है हम
इस बात का किसी को एहसास नहीं,
घर पर इतना समय मिलता है
खाने पीने और सो जाने का,
दफ्तर में इतना दर्द मिलता है
वक़्त ही नहीं मिलता रोने का.
कहाँ पर जाएँ किसको सुनाये
कौन मालिक कर्मचारी की सुनेगा,
पलक झपकने में भी देर लगती है,
वो तो पल में भी हिसाब कर देगा.
गरीबी है यहाँ मज़बूरी सबकी
अगर इसे कोई समझ लेता तो,
छोड़ देते हम नौकरी कब की,
अगर पापी पेट ना होता तो.
प्रवेश कुमार “पीके”
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Hindi Poems Based on Life
कभी मिट्टी में हरियाली लगती है,
कभी हरियाली में मिट्टी दिखती है,
अब तो हर बेरोजगार से मुझको
कोई ना कोई रिश्तेदारी लगती है.
भगवान् ने बाँट दी थी सारी अच्छाई
बाद उसके मेरी किस्मत जगती है,
अब मेरी ही परछाई मुझको
सरे-आम ठग ले जाती है.
हर एक चौराहे की बत्ती
मुझे देखते ही बुझ जाती है,
दूर कहीं जब जाकर वो
सड़क ख़त्म हो जाती है
तब जाकर मेरे सपनो की
वो पगडंडी शुरू हो जाती ही.
मुझे लगा था मेरी किस्मत खुल चुकी है
पर इतना दूर तक चलते-चलते,
मेरे पैरों पर धुल जम गई ,
मुझे लगा था मैं भी चलूँगा ज़माने के संग
पर इतनी मिन्नत करते-करते
मेरी बाकी जिंदगानी भी थम गई,
सोचा पीने को मिल जाए पानी
पैर धोने को जल हो ना हो,
हर पल को जीना चाह मस्ती में
ये सोचकर किकल हो ना हो.
प्रवेश कुमार “पीके”
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Short Hindi Poems On Life
बात बात पर फांसी खाना
युवाओं की आदत हो गई है,
मुजरिमों को कोर्ट में
सरे-आम जमानत हो रही है.
अब तो शरीफों को भी
बदमाशों की ज़रूरत हो रही है.
नफरत की इस दुनिया में
मोहब्बत भी जलालत हो गई है.
लड़ाई झगडे और ख़ुदकुशी देखकर
कौन किसी से करेगा मोहब्बत,
हर कोई चाहेगा रहना अकेला
अन्दर ही घुट जायेंगे जज्बात.
सबकी उम्र हो जाएगी छोटी
सबको लेने आएगी काली रात,
हर टुकड़ा धरती का होगा सुनसान
न होगा कोई धर्म न होगी कोई जात,
लैला मजनूं, हीर और रांझा
सब हो गई अब पुरानी बात.
अब तो जगह-जगह पर
लैला मजनुओं की शहादत हो रही है,
बात बात फार फांसी खाना
युवाओं की आदत हो गई है.
प्रवेश कुमार “पीके”
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Hindi Poems On Girlfriend
काली रातों में जब अकेलापन लगता है,
आँखें सोती है दिल सारी रात जगता है.
कमरे में जब अकेले सोने जाता हूँ,
दीवारों को मैं अपना रास्ता तकते हुए पाता हूँ.
दीवारें भी जब मुझे चिड़ाती नजर आती हैं,
तब उस सांवली लड़की की याद बहूत आती है.
कमरे की लाइट जब पूरी रात जलाकर रखता हूँ,
चुपके से उसका फोटो तकिये के नीचे रखता हूँ.
मम्मी जब कहती है लाइट बंद तो किया कर,
कितना दुबला हो गया है पूरी नींद लिया कर,
मम्मी की जब हर बात जबरदस्ती नजर आती है.
तब उस सांवली लड़की की याद बहूत आती है
सुबह उठते ही उसकी तस्वीर टटोली जाती है,
प्रवेश कुमार “पीके”
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Sad Love Poems In Hindi
महंगाई कम करने का भाषण तो दे जाता है,
पर महंगाई है चीज क्या ये तो वो गरीब
जिसने पी है फीकी चाय, वो ही जनता है.
उसने मेरा हाथ पकड़कर नम आँखों से कहा
मियाँ आज ज़माने का सच समझ में आया है,
हर इंसान है मजबूर यहाँ पर
मस्त तो वही है जिसके पास माया है.
कितनी रातें बीत गई मैं सोया नहीं,
आँखें सूख गई पर मैं रोया नहीं,
इतना करके भी मैं कुछ पाया नहीं,
मेरा दरवाज़ा खटखटाने कोई आया नहीं,
इन्तजार करना कितना बुरा होता है,
पर हर रात के बाद सवेरा होता है.
दिन में भी मैंने ख्वाबों को सजाया,
आँख खूली तो कुछ भी ना पाया,
जो कहता था मैं हूँ तेरा हमसाया,
उसका भी मैंने कोई निशाँ नहीं पाया,
ज़िन्दगी का पन्ना मेरा कोरा रहता है,
पर हर रात के बाद सवेरा होता है.
जब मेरे यहाँ कभी रात आती है,
साथ अपने ग़मों की बरसात लाती है,
जुगनू की रौशनी भी हमें सताती है,
पर हमेशा लबों पर एक बात आती है,
यहाँ रात में भी कहाँ अँधेरा होता है,
पर हर रात के बाद सवेरा होता है.
प्रवेश कुमार “पीके”
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Poem On Alone life in Hindi
हिज्र की रात भी कितनी भारी होती है,
मगर दीवानों की अपनी तैयारी होती है।
लगादो आग अब बेशक सारे बदन को ,
हिज्र में जलता हो उसे कहाँ चिंगारी लगती है।
छोड़ कर गई थी जो हमें बड़ी बेरहमी से ,
हमें तो आज भी वो सूरत प्यारी लगती है।
मेरा घर तो कब का जल कर ख़ाक हो गया,
अब तो अपना मकान ये धरती सारी लगती है।
उसने मुझे मिटाने के सारे अरमान पूरे कर लिए,
अब इस शरीर को मिट्टी में मिलाना मेरी जिम्मेदारी लगती है।
“प्रवेश”
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Hindi Poems on Life Journey
Pathar bhi insaan ka dil, kaanch bhi hai,
ha, paap ki aur pun ki yaha jaanch bhi hai,
sunte the ki duniya mein nahi saanch ka aanch,
dekha yeh magar, ki saanch ko aanch bhi hai.
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Hindi Shayari About Life
Dil ke jazbato ko sanbhal ke rakho sada,
ye mooti hai wafa ke, inhe bahaya nahi karte,
chahat ke dareeche bohat anmol hote hai,
har kisi ke liye in dareecho ko khola nahi karte.
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True Line Shayari In Hindi
Hume waqt aur teacher dono sikhate hai,
Par Waqt aur Teacher me sirf itna sa farq hai,
Teacher sikha ke imtihaan leta hai,
Aur Waqt imtihaan lekar sikhata hai.
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Shayari on God In Hindi
Jaha yaad na aaye wo tanhai bhi kis kam ki,
Bigde rishte na banaye to khudai bhi kis kam ki,
Beshak aapko apni manzil tak jana hai,
Par jaha se apne na dikhe wo uchai bhi kis kaam ki.
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Hindi Sad Shayari On Ishq
Humare ishq mein jo aaj mahfuj hai itna,
Kon jane wo ab bhi kyu khamosh hai itna
Agar dil de diya hai to behichak ijhaar kare,
Hum dekh le ki isss dariya me sailab hai kitna.
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Hindi Poem On Mother
Ek din ek ladki ne ladke se pucha
kya tum mera liye jaan de sakte ho ??
Ladke ne kuch sochte hue kaha.
Tera liye jaan toh de du magar uska kya karu
jo roz subha ghar se nikalte hua kehti hai beta jaldi aana.
Tera liye jaan toh de du magar uska kya
karu jo roz mera intezaar karti hai.
jo mere liye roz dua maangti hai.
jo mere bina khaana nahi khaati.
Main uss maa ka kya karu.
I Love You My Sweet Maa
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HIndi Shayari In Hindi Font
मैं खुश हूँ आओ कभी तुम मुझसे गले मिल के देखो ,
मिलेंगी तुम्हें खुशियां किसी के फटे गरेबान सी के देखो ।
जुनूनी दिमाग, दिल में ख्वाहिश , मंजिल पे नज़र,
मिल जाएगा सबकुछ कभी इस तरह से जी कर देखो।
“प्रवेश”
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True Love Poem For Girlfriend
हाय इश्क़ में मैंने अपना नाम तक बदल डाला,
थी वो एक नवयौवना एक सुन्दर सी बाला।
नैन नक्श थे प्यारे प्यारे रंग था उसका साँवला,
मेरी मत मारी गई थी मैं हो गया था बावला।
उठने बैठने, नहाने धोने का सब वक्त बदल डाला,
आना जाना अब हर जगह उसके हिसाब से कर डाला ।
घर पे अक्सर वो रहा करती थी अकेली,
ढूंढने पे भी उसकी हमें मिली ना कोई सहेली।
सारा समय अपना वो फेसबुक पे बिताया करती थी,
हमसे कतराती थी मगर फेसबुक पे जाने किससे बतलाया करती थी ।
एक दिन उसकी फेसबुक आई डी मुझको खुली मिल गई,
उसके प्रेम प्रसंगो की उस दिन सारी पोल खुल गई ।
इंटरनेट पर उसके एक से ज्यादा फ्रेंड थे ,
प्यार करने के उसके कुछ अडल्ट से ट्रेंड थे ।
सोने से पहले इंटरनेट पे जाने कैसी बातें करती थी,
फिर देर तक वो बिस्तर पे करवटें बदला करती थी।
महँगा पड गया था मुझको इश्क़ का ये सौदा,
उस दिन पता चला एक से उसका क्या होगा।
गलती हुई मुझसे कि उससे मैं प्यार कर बैठा सच्चा,
उसने मुझको समझ लिया इश्क के स्कूल का बच्चा।
एक बार वो मुझको अपनी ज़रूरत बतला देती,
मेरे सिवा फिर वो किसी का नाम नहीं ले पाती।
उसके प्यार करने का तरीका ही था खराब,
कुछ दिन मैंने गम में पी थी थोड़ी शराब।
अक्ल आयी तो पता चला गलती हो गई भारी,
जिसे मैंने प्यार समझा वो निकली एक बीमारी।
अब तो उसके नाम से भी मुझको लगता है डर,
अब घर में ही रहता हूं निकलता नही बाहर।
हाय अपना हाल ये मैंने क्या कर डाला,
हाय इश्क में मैंने अपना नाम तक बदल डाला।
“Parvesh”
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Best Hindi Poem on Life
Teri aankhon ki namkeen mastiyan
Teri hansi ki beparwaah gustakhiyaan
Teri zulfon ki leharaati angdaiyaan
Nahi bhoolunga main
Jab tak hai jaan, jab tak hai jaan
Tera haath se haath chhodna
Tera saayon se rukh modna
Tera palat ke phir na dekhna
Nahin maaf karunga main
Jab tak hai jaan, jab tak hai jaan
Baarishon mein bedhadak tere naachne se
Baat baat pe bewajah tere roothne se
Chhoti chhoti teri bachkani badmashiyon se
Mohabbat karunga main
Jab tak hai jaan, jab tak hai jaan..
Tere jhoothe kasme vaadon se
Tere jalte sulagte khwabon se
Teri be-raham duaaon se
Nafrat karunga main
Jab tak hai jaan, jab tak hai jaan
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Hindi Love Poem On Girlfriend
Raat Karwate Badal Kar Guzar Jati Hai,
Tere Bahoo Mein Sone Ko Jee Chahta Hai,
Na Jaane Yeh Ishq Ki Kon Si Manzil Hai,
Har Waqt Tujh Par Jaan Nichawar Karne Ko Jee Chahta Hai,
Dekhe Na Tumhein Koi Bhi Insaan,
Yoon Dil Mein Chupa Lene Ko Jee Chahta Hai,
Shayd Reham Aa Jaye Usse Meri Iltija Par,
Tujhe Khuda Se Itna Mangne Ko Jee Chahta Hai,
Utre Na Nasha Tere Pyar Ka Zindagi Bhar,
Yoon Teri Aankhoo Mein Doob Jaane Ko Jee Chahta Hai.