बहुत दिनों बाद वो घर से बाहर निकली थी | हमेशा की तरह खूबसूरत मगर आज चेहरे पर खुशी कुछ अलग ही थी | लेकिन आँखों में चमक कुछ कम थी | कुछ दिन पहले ही शादी पक्की हुई थी | बस उसके बाद घर से बाहर निकलना कम हो गया | दिन भर घर बैठे आने वाली ज़िन्दगी के ख्वाब बुने जाते | उसने अभी तक अपने होने वाले साजन को नहीं देखा था इसलिए ख्वाब तो सजते मगर उनमे रंग नहीं होते | शायद आँखों में कम चमक भी इसीलिए थी |
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उसका नाम नहीं पता मगर उसे सब ‘नीलम’ ही बुलाते थे | उसकी आँखें नीलम (रत्न) से भी ज्यादा सुंदर और आकर्षक थी मगर रत्न भी अंगूठी में जड़ने के बाद ही अलंकृत होता है | ऐसे ही उसकी आँखे हो गयी थी, शादी पक्की होने के बाद जैसे उसे उसकी अंगूठी न मिली हो |
आज बगल वाली दुकान पर मेहंदी ख़रीदने आई थी और जैसे ही वो अपने सपनो में गुम पीछे मुड़ी, किसी से टकरा गयी | मेहंदी का पैकेट हाथ से छुट कर नीचे गिर गया, हाथ में कुछ खुले पैसे भी थे वो भी गिर गए | दोनों की नज़रें मिली और दोनों एक साथ नीचे झुक गए | एक ने मेहंदी उठायी और एक ने पैसे उठाये | उसके हाथ पर मेहंदी का पैकेट रखते हुए दोनों के हाथ आपस में छू गए | लड़के को करंट सा लगा और नीलम के सपनों में रंग भर गए |
‘गोविन्द’ यही नाम तो था उसका | कॉलेज में एक साथ पढ़ते थे मगर हमेशा दूर से ही देखा था | कभी पास से गुजरे ही नहीं | ये सब सोचते हुए नीलम ने आँखें बंद की और उसके सपनों में रंग भर गया और सारी दुनिया खूबसूरत लगने लगी | अगले रोज़ से नीलम की खुशी चेहरे, आँखों और उसकी हर अदा से दिखाई देने लगी | घर में सब खुश थे कि नीलम शादी से खुश है मगर यहाँ तो नग किसी और का था, जोहरी भी कोई और था |
गोविन्द भी घर जाकर नीलम को ही सोचता रहा | वो चित्रकार तो नहीं था ना कवि या लेखक था लेकिन उसने कलम उठायी और कागज़ पर नीलम नाम की माला जपने लगा | नीलम के नाम की माला जपते-जपते बहुत सारे पन्ने भर दिए और एक प्रेमग्रंथ बनने लगा | अजीब प्यार था, एक छोटे से लम्हे में पैदा हुआ और बिना एक-दूसरे की अनुमति के बढ़ता जा रहा था | Heart Touching Sad Love Stories
उधर नीलम की शादी के दिन नजदीक आते जा रहे थे | जब शादी को पांच दिन रहे गए तो नीलम की आँख खुली | उसका ख्वाब टुटा और दिल में एक दर्द की आह भर आई | गोविन्द को भी उसकी शादी की ख़बर लग गयी थी | उसने दुकान वाले से दोस्ती कर ली थी और रोज़ सारा दिन दुकान पर बैठा रहता | सबके अंदर एक प्रेमी बैठा होता है | गोविन्द के प्रेम को देख दुकानदार के अंदर का प्रेमी जाग उठा और वो भी गोविन्द के साथ मिलकर घंटो उनके मिलन की योजना बनाता रहता मगर कोई तरीका नहीं मिला |
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नीलम के घर शादी की तैयारियां शुरू हो गयी थी | कुछ रिश्तेदार भी आ गए थे | रात औरतें गीत गाती तो दुकान तक आवाज़ जाती थी | गोविन्द दुकानदार के साथ रात को भी वहीँ सोता था | दुकानदार का अपना कोई नहीं थी, गोविन्द उसका अच्छा साथी बन गया था | वहाँ वो देर रात तक औरतों के गीत सुनता रहता और वे गीत उसे विरह और वियोग के गीत लगते, जिन्हें सुनकर उसकी आँख की किनार गीली हो जाती | यही हाल नीलम का था मगर इतनी खुशियों में उसकी आँखों की नमी किसी को दिखाई नहीं देती |
दो पंछी अलग-अलग पिंजरों में आज़ाद होने की कोशिश में उड़ते मगर पिंजरे की सलाखों से टकराकर लहूलुहान हो जाते | उनकी मदद के लिए कोई मसीहा नहीं आया | प्रेम की परीक्षा अग्नि परीक्षा सी हो गयी थी | दिन भर नीलम सबके बीच खुश होने का अभिनय करती मगर रात में अकेले होते ही बहुत रोना आता | ऐसा लगता था जैसे दोनों में रोने की कोई होड़ लगी है | गोविन्द भी दुकानदार के सोने के बाद अक्सर रात में उठकर रोने लगता था | लेकिन उनके आंसुओं की नदी का प्रवाह इतना तेज़ होने के बाद भी मिलन की संभावना तक नहीं थी | बीच में एक बड़ा रेगिस्तान पड़ता था | दोनों चल तो पड़े थे मगर रास्ता कोई नहीं जानता था |
शादी को दो दिन बचे थे | आज गोविन्द सुबह-सुबह दुकानदार को बिना कुछ बताये कहीं चला गया था | उसे बड़ी चिंता हुई मगर वो इंतज़ार के अलावा कर भी क्या सकता था | दोपहर बाद गोविन्द आया, लेकिन बहुत पूछने के बाद भी उसने कोई ख़ास बात नहीं बतायी | गोविन्द के आने तक दुकानदार ने भी खाना नहीं खाया था उसने दुकान का शटर बंद किया और बगल में ही उसका घर था, दोनों अन्दर चले गए | उसने खुद भी खाया और गोविन्द को भी खाना खिलाया | उसके बाद वो दूकान पर आ गया और गोविन्द घर पर ही रह गया |
उधर नीलम तीन दिन में ही कमज़ोर सी हो गयी थी उसके चेहरे से वो बीमार लगने लगी थी | ये इश्क का बुखार था सो हर किसी को दिखाई नहीं दिया लेकिन नीलम की भाभी ने उसे पहचान लिया | वो नीलम को अपनी छोटी बहन की तरह प्यार करती थी | जब उसने नीलम से पूछा तो नीलम भी ज्यादा देर तक खुद को रोक ना सकी और रोते हुए अपनी भाभी से लिपट गयी |
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आंसुओं का अपना नियम है जब उन्हें कोई पोंछता है तो उनके बहने की गति भी बढ़ जाती है | इसी आँसू पोंछने और बहने के बीच नीलम ने अपनी भाभी के गले लग अपना प्रेम ग्रन्थ सुना डाला | उसकी भाभी ने उसे चुप कराया और उस से वादा किया कि उसका प्यार उसे जरुर मिलेगा |
लेकिन जब अन्दर उम्मीद की कोई किरण ना हो तो बाहर के सारे दिलासे भी दिखावे और खोखले लगने लगते हैं | हाँ, दर्द बाँटने के कारण नीलम का मन थोड़ा हल्का जरुर हो गया था |
नीलम की भाभी दुकान पर आई और दुकानदार से क्या बाते की ये तो नहीं पता लेकिन उनकी बातों से दुकानदार के चेहरे पर एक हलकी सी खुशी आ गयी थी | भाभी ने जाने से पहले दुकानदार को एक लिफाफा दिया और कुछ समझा कर चली गयी | भाभी के जाते ही उसने ख़त को आदर भरी नज़रों से देखा और फिर आसमान में देखकर आँखे बंद की और अपने होंठ हिलाए |
उसने जल्दी-जल्दी में दुकान का शटर बंद किया और शहर की तरफ जाने वाली सड़क की ओर चल पड़ा | उसके जाने के कुछ देर बाद गोविन्द बाहर आया तो दुकान का शटर बंद था | वो वहाँ से हमेशा के लिए कहीं दूर चले जाने का मन बना चुका था | वो अपने सामने नीलम को किसी और की होते हुए नहीं देख सकता था | इसलिए वो दुकानदार दोस्त से अलविदा कहने निकला था | वो वापस घर में आ गया और कुछ देर बैठे रहने के बाद एक कागज़ पर दुकानदार के नाम आख़िरी पत्र लिख दिया | कुछ देर उस पत्र को हाथ में लेकर कुछ सोचता रहा और फिर उसे फाड़ कर फेंक दिया | उसे यूँ दुकानदार से बिना मिले जाना अच्छा नहीं लगा, उसने उसकी बहुत मदद की थी | वो इंतज़ार में बैठकर नीलम को सोचने लगा | Sad Love Story in Hindi
जब नीलम ने अपनी शादी का जोड़ा पहन कर रिश्तेदारों को दिखाया तो सब देखते रह गए | नीलम किसी परी जैसी लग रही थी | सब उसे देख रहे थे मगर नीलम जिसे दिखाना चाहती थी उसकी उसे ख़बर भी नहीं थी | नीलम की माँ ने उस रात उसकी कई बार नज़र उतारी, मगर नीलम को तो नज़र लग चुकी थी | जिसको ख़बर उसकी माँ को कहाँ थी |
अँधेरा हो गया था | इंतज़ार करते करते गोविन्द थक गया था | उसने अपनी जेब से एक छोटी सी शीशी निकाली जिसे वो सुबह ही शहर से ख़रीद कर लाया था | उसे देखते ही उसे नीलम की याद बहुत जोरों से आई और उसकी आँखों से आँसू गिरने लग गए | दिल जोरो से रो रहा था मगर आवाज़ गोविन्द के अन्दर ही घुट कर रह जाती | तभी दुकानदार अन्दर आ गया | गोविन्द ने जैसे ही उसे देखा वो सहम गया और शीशी छिपाने की कोशिश करने लगा | दुकानदार ने आगे बढ़ कर हाथ से शीशी छीन ली |
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गोविन्द की आँख शर्म से झुक गयी और उसकी रुलाई फूट पड़ी | दुकानदार ने उसे रोने दिया | काफी देर रोने के बाद जब वो चुप हुआ तो दुकानदार ने नीलम की भाभी के आने से अभी तक का सारा विवरण दिया | गोविन्द ने अपने आँसू पौंछे और मुह धोया | उसके बाद चेहरे पर थोडा आराम दिखाई दिया | दोनों घर बंद करके खाना खाने बाहर चले गए |
बहुत रात हो गयी, लेकिन बारात नहीं आई | इधर से ख़बर लाने आदमी भेजे गए | आधी रात ख़बर आई कि लड़का घर से भाग गया है | पुरे गाँव में नाम उछला, बदनामी हुई | अगले दिन लड़के के माँ-बाप नीलम के घर आये और सबके सामने माफ़ी मांगी और जितने रूपए ख़र्च हुए थे सबका हिसाब करके वापस चले गए |
कुछ दिनों बाद सारी घटना आम हो गयी | सारे दिन पहले जैसे हो गए | नीलम के चेहरे की चमक लौट आई | अब उसकी आँखों में सपने भी थे और रंग भी | आज मिलन का दिन था दोनों मसीहाओं ने नीलम और गोविन्द को मिलाने की योजना बना ली थी | शाम होते ही भाभी नीलम को लेकर दुकानदार के घर आई | गोविन्द और नीलम आमने सामने हुए, दोनों की नजर मिली और दोनों एक साथ रो पड़े | भाभी और दुकानदार बाहर बरामदे में थे |
नीलम और गोविन्द दोनों बिना कुछ बोले रोते रहे और खुद ही अपने-अपने आँसू पोंछते रहे | ये मिलन की खुशी के आँसू थे, ये आँसू उन दिनों के बीतने की खुशी में थे जिनमे दोनों ने वियोग सहा था | इसी रुलाई में इज़हार हो गया, इकरार हो गया | नीलम ने अपनी आँखें पोंछी, गोविन्द ने अपनी | फिर नीलम बाहर आई और अपनी भाभी के साथ घर आ गयी |
दुकानदार ने गोविन्द को देखा तो उसका चेहरा खिला हुआ था | दुकानदार ने गोविन्द से पूछा, “नीलम ने क्या कहा?”
गोविन्द ने बस इतना ही कहा “नीलम सिर्फ तुम्हारी है गोविन्द |”
Writer – Parvesh Kumar “PK”