Desh Bhakti Kavita in Hindi
जन्नत की तस्वीर, यह तस्वीर न देंगे,
हाथो में किसी गैर की तक़दीर न देंगे,
कश्मीर है भारत का कश्मीर ना देंगे,
धमकी से किसी ज़ुल्म के हम डर नही सकते,
समझोता किसी देश का हम कर नही सकते,
क्या डालेगा तू फूट यह घर कबीर का,
झगड़ा नही हो सकता है तुलसी से मीर का,
जो फूल चमन का है, चमन में नही खिलेगा,
अब्दुल हामिद अपने देश पर मर मिटेगा,
Desh Bhakti Kavita in Hindi
लूटने कभी आज़ादी की जागीर न देंगे,
कश्मीर है भारत का कश्मीर न देंगे,
परदेश से तूने हथियार मँगवाए,
किल्लर ने नेट से सेवर्जेट गिराए,
हथियारो से तू कर सकता नही दिल पे तू कब्जा,
गद्दार है वह हिंद का जो प्यार तुझे दे,
वह अमन का है दुश्मन जो हथियार तुझे दे,
दीवाने के हाथ में हम कसमीर न देंगे,
कश्मीर है भारत का कश्मीर न देंगे.
Collection of Desh Bhakti Kavita in Hindi
15+ Desh Bhakti Poem in Hindi Language
सुभाष चंदर के नाम से हिन्दुस्तान का नाम,
बंगाल के शेर से झुक झुक करे सलाम,
नेताजी का जीवन है बलिदान की एक कहानी,
बलिदान ही बलिदान है बचपन और जवानी,
बचपन से चंचल मन में अरमानो का मेला था,
छोटी सी एक लहर के दिल में तूफ़ानो का रेला था,
कॉलेज में उस्ताद जो था वो था लंडन का गोरा,
और उसने कहा कॉलेज में एक दिन,
हिन्दी काला लोग छोकरा शेर बोस का खून जो खोला,
गोरे को एक छपत लगाई,
नाम कटा कॉलेज से लेकिन हिंद की लाज बचाई,
माता-पिता ने समझाया और इंग्लिस्तान को किया रवाना,
बड़ो के आगे होंठ न खोले लेकिन बागी दिल न माना,
यूरोप में ICM का टेस्ट पास किया,
और इतना ओहदा पाकर देश-भकत न छोड़ दिया,
हिन्दुस्तान में आकर पहले गाँधी को प्रणाम किया,
और देश सेवा का बापू से पहला सबक लिया,
ओरो के दुख दर्द को सोचा और पहचाना,
कमर बाँध कर रन में आया आज़ादी का दीवाना,
Desh Bhakti Kavita in Hindi
किया अंग्रेज़ो ने ये इरादा कर बागी को कैदी,
कुचल डाले मसल डाले,
बचपन में ज़ो बागी हो वह ज़ुल्म से डरना क्या जाने,
जलने से कब घबराते है शमा के परवाने,
जिसकी राग में शोले हो वह क्या जाने चिंगारी को,
हथकड़ियो की जंजीरो को झेलो चार दीवारो को,
कदम–कदम पर मुश्किल आई लेकिन शेर सदा ललकारा,
रह नही सकता गोरो के बस में हिन्दुस्तान हमारा,
सरकार ने कर डाला नज़र बंद जवान बंद,
मैदान में जो मर्द है होते है कहा बंद,
एक रात को चुपके से ही नेता हो गये गुम,
जनता भी हैरान थी सरकार भी हैरान,
चले जाने से बुलबल के साथ था सैयाद परेशन,
माता को ये आशा थी लौट आएगा बेटा,
इस आस में घर के दरवाजे भी बंद किए,
आ जाएगा आ जाएगा वो लाल फरचंद,
इस माँ से बड़ी माँ हिन्दुस्तान है,
वो छोड़ गया माँ को बड़ी माँ को छुड़ाने,
इस हिंद की बिगड़ी हुई तक़दीर बनाने,
बदल पठानी भेष चला परदेश छोड़कर देश हमारा नेता,
आज़ादी की लड़ाई लड़ने प्यारा नेता,
हिन्दुस्तान से काबुल और काबुल से बर्लिन,
चलते चलते पहुच गया सिंगापुर के रन में,
कोम की एक फौज और कोमी तराना बन गया,
जय गाँधी जय सुबश जय हिंद
Desh Bhakti Kavita Lyrics in Hindi
सुन ले बापू ये पैगाम, मेरी चिठ्ठी तेरे नाम,
चिठ्ठी में सबसे पहले लिखना तुझको राम-राम,
काला धन काला व्यापर, रिश्वत का काला बाज़ार,
सत्य अहिंसा कहे पुकार टूट गया चरखे का तार,
तेरे अनशन सत्याग्रह के बदल गए असल बर्ताव,
एक नयी विधा है उपजी का ये कैसा निकला है गहराव,
तेरी कठिन तपस्या का ये कैसा निकला है अंजाम,
तेरी चिठ्ठी में सबसे पहले लिखता तुझको राम राम,
प्रांत प्रांत से टकराता है, भाषा पर भाषा की लत,
में पंजाबी तू बंगाली कों करे भारत की बात,
Desh Bhakti Kavita in Hindi
तेरी हिन्दी के पावं में अँग्रेज़ी ने डाली डोर,
तेरी लकड़ी तागॉ ने टंग ली, तेरी बकरी ले गये चोर,
साबरमती सिसकती तेरी तड़प रहा है सेवाग्राम,
राम राज की तेरी कल्पना उडी हवा में बने कपूर,
बच्चों ने पढ़ना लिखना छोड़ा-तोड़ फोड़ में है मगरूर,
नेता हो रहे दल बदलू देश की पगड़ी रहे उछाल,
तेरे पूत बिगड़ गये बापू फिर भी, फूल चढाते सुबह शाम,
चिठ्ठी में सबसे पहले लिखना तुझको राम-राम
Desh Bhakti Kavita in Hindi
14 Popular Desh Bhakti Geet in Hindi
मेरा रंग दे बसंती चोला,
जिसे पहन कर वीर शिवाजी ने माँ का बंधन खोला,
यह चोला टीपू ने पहना हंसकर दी कुर्बानी,
इसे पहन झाँसी की रानी खूब लड़ी मर्दानी,
पहन इसे मेवाड़ का राजा जे जे भारत बोला, मेरा…,
इंक़लाब जिंदाबाद इंक़लाब जिंदाबाद,
इसी रंग, रंगा गया है सारा हिन्दुस्तान,
रंग बसंती ऐ मैं बताऊँ क्या है तेरी शान,
देख के फासी का तख्ता भी दिल न हमारा डोला, मेरा…,
इंक़लाब जिंदाबाद इंक़लाब जिंदाबाद,
मौत से पहले यही हुआ है हो भारत आज़ाद,
ऐ भारत के वीर कभी जो आए हमारी याद,
मौत को गले लगाकर गाना रंग दे बसंती चोला,
इंक़लाब जिंदाबाद इंक़लाब जिंदाबाद
Desh Bhakti Kavita 26 January
कर चले हम फिदा जाने तन साथियो,
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो,
साँस थमती गयी नब्ज़ जमती गयी,
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया,
कट गये सर हमारे तो कुछ गम नही,
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया,
मरते-मरते रहा बांकपन साथियो,
जिंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर,
जान देने की रुत रोज आती नही,
आज धरती बनी है दुल्हन साथियो,
Desh Bhakti Kavita in Hindi
राह कुर्बनियो की न वीरान हो,
तुम सजाते ही रहना नये काफिले,
फ़तह का जशन इस जशन के बाद है,
जिंदगी मौत से मिल रही है गले,
बांध लो अपने सिर से कफ़न साथियो,
खींच दो अपने खून से ज़मीन पर लकीर,
इस तरफ आने पाए न रावन कोई,
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे,
छूने न पाए सीता का दामन कोई,
राम ही तुम, तुम ही लक्ष्मण साथियो
Desh Bhakti Kavita in Hindi
12+ Patriotic Poems in Hindi for Children
जो शाहिद हुए है उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी,
ऐ मेरे वतन के लोगो तुम खूब लगाओ नारे,
ये शुभ दिन है हम सबका, लहरा लो तिरंगा प्यारा,
पर मत भूलो सीमा पर वीरो ने प्राण गवाए,
कुछ याद उन्हे भी कर लो, जो लौट कर घर न आए,
ऐ मेरे वतन के लोगो ज़रा आँख मे भर लो पानी,
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी आए,
जब घायल हुआ हिमाल्य, ख़तरे में पढ़ी आज़ादी,
जब तक थी साँस लडे बस फिर अपनी लाश बिछा दी,
हो गये वतन पर नौछावर वो वीर थे कितनी गुमानी,
Desh Bhakti Kavita in Hindi
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी,
जब देश में थी दीवाली वो खेल रहे थे होली,
जब हम बैठे थे घरो में वो झेल रहे थे गोली,
ये धन्य जवान वो अपनी थी धन्य वो उनकी जवानी,
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी,
शेरो की तरह झपटे थे भारत के बहादुर बेटे,
इस मुल्क़ की लाज बचाके मार गये बर्फ पर लेटे,
संगीन पर धरकर माथा सो गये वीर बलिदानी,
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी,
कोई सिख कोई जाट मराठा, कोई गोरखा कोई मद्रासी,
सरहद पर मरने वाला हर वीर था भारतवासी,
जो खून गिरा पर्वत पर वह खून था हिन्दुस्तानी,
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी,
थी खून से लथपथ काया फिर गिर गये होश गवा के,
जब अंत समय आया तो कह गये की हम मरते हैं,
खुश रहना ऐ देश के प्यारो, अब हम तो सफ़र करते हैं,
तस्वीर नयन में खींचों क्या लोग थे वी अभिमानी,
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी,
Desh Bhakti Kavita in Hindi
एक हमारा झंडा उँचा एक हमारा देश,
इस झंडे के नीचे निश्चित एक अमिट उद्देश्य
हमारा एक अमिट उद्देश्य,
देखा जागृत के प्रभाव में एक स्वतन्त्र प्रकाश,
फैला है सब और एक सा अतुल उल्लास,
कोटि-कोटि कंठो में गूंजीत एक विजय-विशाल,
मुकट पवन में उड़ उठने की एक अमर अभिलाषा,
सबका सुहित सुमंगल सबका, नही बैर विदेश,
एक हमारा झंडा उँचा एक हमारा देश,
कितने वीरो ने करके प्राणो का बलिदान,
मरते-मरते भी गाया है इस झंडे का गान,
रखेंगे उँचे उठ हम आक्श इसका आन,
चखेंगे उसकी छाया में रस विष एक समान,
एक हमारी सुख सुविधा एक हमारा कलेश,
एक हमारा झंडा उँचा एक हमारा देश,
Desh Bhakti Kavita in Hindi
मात्र-भूमि की मानवता को जागृत जय-जैकार,
फेहर उठे उँचा यह अविरोध उदार,
साहस अब और पौरुष का यह संजीव संसार,
लेहर उठी जन-जन के मन में सत्य अहिंसा प्यार,
अनगिनीत धाराओं का संगम मिलने तीर्थ संदेश,
एक हमारा उँचा झंडा एक हमारा देश,
सुनो सब एक हमारा देश
Kavita on Desh Bhakti in Hindi
10+ Best Patriotic Songs in Hindi Font
वक़्त के जवानो वतन ने पुकारा,
कि आज़दीयो के चमन ने पुकारा,
जो कल दोस्त था आज तलवार लेकर,
हिमालय का सिर काटना चाहता है,
गले कल मिले जो बना आज दुश्मन,
की कश्मीर को बटना चाहता है,
शहीदों के लालो बड़े शान वालो,
कि धोके की तलवार को काटकर रख दो,
सरबते सलोने सपनो ने पुकारा,
वतन के जवानो वतन ने पुकारा,
हमारे बढ़ाये हमारे सिखाए,
हमीं को अरे लूटना चाहते हैं,
अजंता नही ताज भी छोड़ दो,
बुद्ध गाँधी का मूह नोचना चाहते हो,
न जो बात से बात मानो अगर तो,
उसे लात मारकर बात रख लो,
Desh Bhakti Kavita in Hindi
उठो आन कर हर भवन ने पुकारा,
वतन के जवानो वतन ने पुकारा,
उठो गंगा जमना के अरमानो जागो,
उठो पचनंद के बहुत प्यार पाए,
न दक्षिण न उत्तर न पूरब न पश्चिम,
उठो एक होकर न कोई जाए,
न हिंदू न मुस्लिम न सिख न ईसाई,
सभी एक मा के सगे एक भाई,
जमी ने पुकारा गगन ने पुकारा,
वतन के जवानो वतन ने पुकारा
Shero Shayari on Desh Bhakti
दे दी हमें आज़ादी बिना खड़ग बिना ढाल,
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल,
आँधी में जलती रहे गाँधी तेरी मशाल,
धरती पर तूने ला दी अजब लड़ाई,
दागी ना कही तोप न बंदूक चलाई,
दुश्मन के किले पर न की तूने चढ़ाई,
वा रे फ़कीर खूब करामात दिखाई,
चुटकी में दिया देश से दुश्मन निकाल,
शतरंज बिछाकर बैठा था जमाना,
लगता था कि मुस्क़िल है फिरंगी को भगाना,
टक्कर थी बड़े ज़ोर की दुश्मन था दाना,
पर तू था बापु बढ़ा उस्ताद पुराना,
Desh Bhakti Kavita in Hindi
मारा वो कसके दाव उल्टी सभी की चाल,
जब जब बिगुल बजा जवान चल पड़े,
मजदूर चल पड़े जवान चल पड़े,
हिंदू वह मुस्लिम सिख पठान चल पड़े,
कदमो पे कोटि कोटि पर्णाम चल पड़े,
फुलो की सेज छोड़ के चल पढ़े जवाहरलाल नेहरू,
मन में थी हँसा की लगन तन पे थी लंगोटी,
लाखो में लिए घूमता था सत्य की कसौटी,
देखने में थी हस्ती तेरी छोटी,
लेकिन तुझपे झुकती थी हिमालय की भी चोटी,
दुनिया में था तू बेमिसाल,
जग में कोई जिया तो बापू ही जिया,
तूने वतन की राह पर सब कुछ लूटा दिया,
माँगा न तख़्त न ताज ही लिया,
अमृत दिया सभी को खूद जहर पी लिया,
जिस दिन तेरी चीता जली रोया था महाकाल
Desh Bhakti Kavita in Hindi
बच्चों तुम तक़दीर हो कल के हिन्दुस्तान की,
आज टूटे खंडर पर तुम कल को देश बनाओगे,
जो हम लोगो से न हुआ वो तुम करके दिखाओगे,
तुम नन्ही बुनियाद हो दुनिया के नये विधान की,
दीन धर्म के नाम पर कोई बीज फूट का बोए ना,
जो सदियो के बाद मिली है वह आज़ादी खोए ना,
हर मज़हबी से उँची है कीमत इंसान जान की,
फिर कोई जैचंद न उभरे फिर कोई ज़फर न उठे,
गैरो का दिल कुश करके अपनो पर खंजर ना उठे,
धन-दौलत के ललच में तौहीन ना हो ईमान की,
Desh Bhakti Kavita in Hindi
नारी को देवी कहकर इश्स देश ने दासी जाना है,
जिसको कुछ अधिकार ना हो घर की रानी माना ह,
तुम ऐसा आदर मत लेना आड़ हो जो अपमान की,
रह न सके अब इश्स दुनिया में युग शरमदारी का,
तुमको झंडा लहराना ह मेहनत की सरदारी का,
तुम चाहो तो बदल के रख दो किस्मत हर इंसान की.
Hindi Desh Bhakti Kavita
वतन की गुमसूमारी के कोई सामान पैदा कर,
जिगर में जोश दिल में दर्द तन में जान पैदा कर,
उठा ले जाए दम भर में जहाँ की ये खुराफाते,
बसा कर ऐसा माशर या कोई तूफान पैदा कर,
हम अपनी शान की खातिर खुशी से जान पर खेले,
कि हो हमें अपनी आन पर कुर्बान वह एहसान पैदा कर,
Desh Bhakti Kavita in Hindi
कदमबोसी चाल चल सर के बल आएगी आज़ादी,
कि मर मिटने की खातिर ऐ दिले नादान पैदा कर,
खुदी को नष्ट कर ऐ बजाएं जुंग का डंका,
कुछ मनचले दिलदार मर्द इंसान पैदा कर,
न मरेंगे जिसा को देखु रंजो रहट को,
कि दिल में एक बैचेनी मेरे भगवान पैदा कर
Desh Bhakti Kavita in Hindi
दुश्मनो सावधानो शत्रुओं सावधान,
चल पड़े हैं आज हिंद के नौजवान,
सर पे बाँध के कफ़न सीना तान,
छोड़ दो छोड़ दो पापियों हमारा हिन्दुस्तान,
आ चुका वक़्त दगाबाज़ तम्हारा,
अब न रहेगा ये ताक़त ये राज तुम्हारा,
धूल में मिल जाएगा ये राज तुम्हारा,
मौत से मुक़ाबला है आज तुम्हारा,
हम पे हम मरेंगे वज्र के समान,
झनझना रहा है सुनो आकाश जालिमो,
हो अब तुम्हारा सर्वनाश जालिमो,
देंगे बिछा तुम्हारी लाशें जालिमो,
Desh Bhakti Kavita in Hindi
काल बनके आया है सुभाष जालिमो,
हम लेके चले हैं हथेलियो पे जान,
हम लड़ेंगे तुमसे जब तक हैं दम में दम,
हमको अपनी प्यारी जनम भूमि की कसम,
अब नही रुकेंगे ये बढ़ते हुए कदम,
मरकर रखेंगे हम वतन की शान,
दूर हटो तुम नेफा से, दूर हटो लद्दाक़ से,
बाँध रहे हो तुम अँगारे आज अमन की पाख से